मानव सेवा यही ईश्वर सेवा

मानव सेवा यही ईश्वर सेवा, इसी उद्देश को पुरा करने के लिये जनकल्याण सेवा संस्थाद्वारा डॉ. हेडगेवार धर्मादाय हॉस्पिटल अमरावती मे शुरु किया गया. ३ वर्ष पश्चात संत गाडगेबाबा के नाम से, जनता की सेवा के लिये फिरता रुग्णालय (मोबाईल डीस्पेंसरी ) शुरु करने का निर्णय लिया. यह संत गाडगेबाबा सेवा प्रकल्प पहले सेवा वस्ती मे ही था और बाद मे इसे ग्रामीण क्षेत्रमेभी शुरु किया गया. इस प्रोजेक्ट का उद्देश यह है की, जरूरतमंद नागरीकों को प्राथमिक उपचार का लाभ देना और लोगोतक चिकीत्सकीय सुविधाये पहुँचाना. यह जनकल्याण की यह योजना सफल करने के पीछे पुरी टिम है. हम सब मिलके काम करते है. करीब सात सालो मे इस योजना का लाभ हजारो की संख्या मे मरीजो ने लिया है.

समय आगे बढता गया और इस प्रोजेक्ट को सफलता मिलती गई. आज इतने सालो बाद हम लोग ५ ग्रामीण और ५ सेवा वस्ती, ऐसे १० जगहो पे मरीजो को प्राथमिक उपचार का लाभ प्रदान करने मे सफल हुये है. हर दिन सुबह फिरता रुग्णालय की ऍम्ब्युलन्स उपरोक्त क्षेत्र मे पहुँचती है. वहा हर प्रकार के मरीज का जनरल चेकअप और उनका प्राथमिक उपचार किया जाता है. पेशंट का इलाज मात्र ३० रु पयो मे किया जाता है और साथ ही उन्हे दवाईयाँ भी दि जाती है. मरीजो की शुगर मात्र २० रु मे चेक की जाती है. इस सुविधा का लाभ रोजाना ३० से ४० मरीज लेते है. जीन मरीजो को फिरते रुग्णालय तक आने मे दिक्कत होती है या जिनको चलने मे तकलीफ है, ऐसे मरीजो का चेक अप हमारी टिम घर पर जाकर करती है. जिन मरीजो को किसी स्पेशालिस्ट डॉक्टर के इलाज की जरुरत होती है उन्हे डॉ. हेडगेवार हॉस्पिटल भेजा जाता है.

फिरता रुग्णालय पुरे सालभर शुरु रहता है. हफ्ते के ३ दिन हम शहरी वस्ती जहा दवाखाना या PHC या कोई चिकित्सालय उपलब्ध नही है वहा हमारी गाडी पहोचती है और ३ दिन ग्रामीण क्षेत्र मे मरीजो को देखने जाते है. हमे खुशी इस बात की है की हमने लोगो का विश्वास जीत लिया है. अब तो ऐसी स्थिती है की हमारे वहा पहुचने से पहलेही मरीज हमारी राह देखते है. जरुरतमंद लोग आरोग्य सुविधा का लाभ लेते है और हमारे इस उपक्रम को बहुत प्रोत्साहन देते है.

कोई भी मौसम हो -गर्मी, बारीश, सर्दी हमारे रुग्णालय की ऍम्ब्युलन्स और हमारी टीम मरीजो कि मदत करने मे सब से आगे रहती है. टिम मे मै खुद -डॉ. सिमरन अडवानी, वैद्यकीय सामाजिक कार्यकर्ता श्री. वैभव नागमोते, सिस्टर निकीता पोजगे, सिस्टर आकांक्षा गजभिये और ड्रायव्हर आकाश काळे का समावेश है. मै डॉक्टर हू, मरीजो का जनरल चेकअप करके दवाईया बताती हु और सिस्टर उन्हे दवाईयाँ कैसे लेना यह समझाती है और बी.पी चेक करती है. कभी कभी बहुत ज्यादा संख्या मे मरीज आते है तब बहुत कठीनाई भी होती है. कभी कभी कोई पेशंट झगडाभी करते है, कि उन्हे पहले चेक करे, क्यो की उनकी गलती नही उन्हेभी काम पर जाने की जल्दी होती है. कई पेशंट आरामसे बैठकर शांती से बात करते है और हमे सहकार्य करते है, जिससे हम हमारी रोज की OPD आराम से निकाल पाये. फिरता रुग्णालय की टिम के साथही आरोग्य शिबीर का भी आयोजन किया जाता है. इस कार्य मे हमारे वैद्यकीय सामाजिक कार्यकर्ता वैभवभैया सहायता करते है और कई शिबीर आयोजित करने मे सौ. अनिता कुलकर्णी सहायता करती है.

रोज की ओपीडी –रुग्ण चेक अप करना, कभी घर जाकर मरीज देखना, कभी ऍम्ब्युलन्स मे रुग्ण को मुख्य हॉस्पिटल मे अमरावती लाना. उन्हे संस्था उपचार हेतू आर्थिक सहायता करती है. संत गाडगेबाबा सेवा प्रकल्प- फिरता रुग्णालयद्वारा विभिन्न तरिकोसे लोगोकी आरोग्य सहायता कर उन्हे वैद्यकीय मदत करने की पुरी कोशिश करते है.

उम्मीद है हम ऐसे ही जरुरतमंदो कि सहायता कर पाये और ज्यादा से ज्यादा लोग इस सुविधा का लाभ ले पाये. फिरता रुग्णालय कि टिम होम व्हिजीट के लिये भी सहयोग करती है, जो मरीज बेडरीडन है उनका चेकअप हम, बडे डॉक्टर के मार्गदर्शन मे घर जाकर करते है. रुग्ण या उनके परिवार को तकलीफ ना हो इस बात का हम ख्याल रखते है. एक समय हम OPD के लिये दोपहर मे पिंपळखुटा लहान गाव जा रहे थे, तब रास्ते मे एक दुपहिया गाडीका अपघात होने से वहा छोटीसी दुर्घटना हुई थी. इस घटना का पता चलते ही तत्परता से हमारी टिम वहा पहुची और दुर्घटनाग्रस्त लोगो की मदत की. उन्हे प्राथमिक सहायता मिलने से उन्होने हमे धन्यवाद दिया. हमारे वरिष्ठ अधिकारीयोने हमे शाबासी दी. इस से हमारा हौसला बढता है.

२०२३ मे इस प्रकल्प के अंतर्गत हेल्थ प्रोजेक्ट करने का निर्देश हमे मिला है. इस प्रोग्राम मे मधुमेह संबंधित रुग्णो की खोज हेतू सर्वे करना, जनजागृती करना और अन्य बिमारियो के बारे मे सर्वे जारी है. इस प्रकल्प मे मै गत एक साल से काम कर रही हू. लोगो का स्नेह और प्रेम देखकर काम करने कि नई उर्जा प्राप्त होती है. ब्राम्हणवाडा गोविंदपूर ग्राम पंचायत ने हमारी टीम का सत्कार किया. यह हमारे कार्य का सम्मान है.

हम अकेले ही चले थे
लोग साथ आते गए
और कारवाँ बनता गया...

 

डॉ. सिमरन अडवानी,

मोबाईल डीस्पेन्सरी,

वैद्यकीय अधिकारी,