स्पीच डीले

   “ऊ...आ .. करनेवाले और बात समझाने की कोशिश करनेवाले छोटे राम पे सब हस रहे थे. गर्मियो के दिनो मे घर आये मामाजी के पोता, राम बहुत सुंदर और स्वस्थ था. एक साल का यह हसता, खेलता प्यारा बच्चा मानो सब के लिये एक खिलौना था. उससे प्यार करते हम थकते नही थे. राम छोटा था, लेकीन दादा, मामा...ऐसे छोटे शब्द भी वह बोल नही रहा था. घर के सभी सोचते थे, वह अभी छोटा है, पर लेकीन मै ठहेरा डॉक्टर. मुझे पता था, यह बात सामान्य नही है. हाथ के इशारे से तो राम सब दिखाता था. उसे क्या कहेना है, सब समजते थे और वही बात बडो के दोहराने से राम खुश हो जाता था.

    मामाजी से मैने कहा, “ मामाजी, अगर आप बुरा न मानो तो, राम को कुछ इलाज की जरुरत है. यह स्पीच डीले की समस्या हो सकती है.”
    मामाजी घबरा गये. लेकीन मैने उन्हे कहा, “इसमे कोई डरने की बात नाही. कूच इलाज से वह बात करने लगेगा”. तो वह तुरंत मान गये.
    यह समस्या सिर्फ अकेले मामाजी के यहा है, ऐसी बात नही. आजकल कुछ बच्चों में देरी से बोलने की समस्या पाई जाती है.  स्पीच एक जरीया है, जिससे हम अपने विचार दुसरे व्यक्ती तक पहुचा सकते है. जब हमे बोलने के माध्यम से दिक्कत होती है उसे हम “स्पीच डीले “कहते है.

बच्चों मे भाषा के विकास के लिए कुछ चीजे रहेना जरुरी है.
१)    सुनना (Hearing).
२)    आँखों मे आँखे मिलाके देखना (Eye Contact ).
३)    ध्यान देना (Attention)बच्चे पे स्पीच डेव्हलपमेंट का क्रिटीकल पिरीयड पहले दो साल रहता है. अगर बच्चे शुरुवात के २ सालो मे उमर के अनुसार बोली, या संकेतो का इस्तमाल करना बच्चे नही सिखते है, तो भविष्य में भाषा के विकास में दिक्कत जाने की संभावना रहती है.

बच्चों के भाषा के विकास में बात करने के साथ ही Non Verbal Language Development मतलब  इशारे समझना एवं इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण रहता है.

बच्चों में बोलने के देरी के लक्षण क्या है?
१)    अगर बच्चा चार महिने का है और कुछ भी आवाज नही निकाल रहा और नजर से नजर नही मिला रहा है.
२)    अगर बच्चा ६ महिने से ८ महिने का हो गया है और वह माता पिता के आवाज को रिस्पॉन्स नही दे रहा है.
३)    १२ महिने का बच्चा (एक साल ) एक भी शब्द जैसे,दादा मामा नही बोल पा रहा है.
४)    १८ महिने का बच्चा सामनेवाली की बोली हुई साधीसी बात भी समझ नही रहा है या इशारा नही कर रहा है.
५)    २ साल का बच्चा अगर कम से कम २५ शब्द नही बोल पा रहा है.और शब्द जोड के नाही बोल पा रहा हो.
६)    ३ साल मे ३ शब्द और ४ साल मे ४ शब्द जोडकर वाक्य नही बोल पा रहा है. 

बोलने में देरी के क्या कारण है ?
१)    ज्यादा टीव्ही और मोबाईल का इस्तेमाल करना : जादा टीव्ही और मोबाईल देखने से सिर्फ एकतर्फा (One Sided) संवाद होता है. जो बच्चे ज्यादा टीव्ही, मोबाईल देखते है उनमें बर्ताव (Behaviour ) की समस्या, बात करने मे देरी (Delayed speech) और (Psychological Problems) मनोवैज्ञानिक समस्या आ सकती है.
२)    सुनने की समस्या Hearing Impairment :सुनने मे कमी की वजह से बच्चो की बात करने की क्षमता एवं समझ पे असर हो सकता है.
३)    मतिमंदता Intellectual Disability : जिन बच्चों की समझ कम रहती है उनमें अधिकतर भाषा के उपयोग मे दिक्कत हो जाती है.
४)    जन्म के समय आनेवाली समस्या : Perinatal Problems : जो बच्चे जन्म के बाद देरी से रोते है, premature होते है, शुगर कम होती है (Hypoglycemia), मेंदू ज्वर (Meningitis), पिलिया (jaundice) होता है उन मे स्पीच डीले की संभावना ज्यादा रहती है
५)    Cerebral Palsy : (मस्तिष्क पक्षाघात) मस्तिष्क पक्षाघात वाले बच्चों को शारीरिक विकलांगता के साथ ही बात करने मे दिक्कत होती है.
६)    Autism Spectrum Disability (स्वमग्नता) : स्वमग्नता के शिकार बच्चों मे बोलनेवाली भाषा एवं इशारोवाली भाषा अपने उमर के अनुरूप नही रहती है. अगर किसी बच्चों को बात करने मे देरी के साथ बर्ताव की समस्या, जैसे खुद मे मग्न रहना, अतिचंचलता और आँखों मे आँख मिलाकर कम देखना, एवं नाम से पुकारने के बाद कम, अनियमित प्रतिक्रिया देना, तो स्वमग्नता की संभावना रहती है.

स्पीच विकार वाले बच्चों में कौनसी जाँच जरुरी है ?
१)    जिन बच्चों के भाषा के विकास में देरी है उनके पुरे शारीरिक एवं मानसिक विकास की जाँच करना जरुरी है.
२)    बच्चे सुनने की क्षमता (Hearing Evaluation)की जाँच करना जरुरी है.
३)    बच्चे को सिर्फ बात करने मे दिक्कत है या इशारे समझने और इस्तेमाल करने मे भी दिक्कत है इसकी जाँच करनी चाहिये.
४)    जबान (tongue) एवं मुह की संपूर्ण जाँच करनी जरुरी है.

बोलने में देरी का इलाज कैसे करे ?
१)    बच्चों को टी. व्ही. या मोबाइल कम दिखाइये. ३ साल से कम उम्रवाले बच्चों को टी. व्ही.या मोबाइल ना दिखाइये.
२)    बच्चों के खेल में सहभाग लीजिये और उनसे ज्यादा से ज्यादा बात किजीये. (Communication)
३)    अपने बच्चों से नज़र मिलाकर बात करें।
४)    स्पीच थेरपी की सहायता से बच्चों को बात करना सिखाया जा सकता है.
५)    जिन बच्चो को ऑटीझम (स्वमग्नता ) या ADHD (अति चंचलता ) है उन बच्चों मे occupational therapy का उपयोग किया जाता है.
    कोई भी बच्चा जिसे बोलने मे देरी / दिक्कत है उसे पहेले अपने बालविकास तज्ञ की सलाह लीजिये और अपने बच्चों को स्पीच डीले की समस्या से दूर रखिये.

 

डॉ. ऋषिकेश घाटोळ
बालविकास तज्ञ